वे लौटेंगे जैसे बेज़ुबानों की ज़ुबान वे लौटेंगे जैसे बेज़ुबानों की ज़ुबान
कितने फूल कितने फूल
कभी मलमल के साथ तो कभी काटो के साथ रहना सीखो। कभी मलमल के साथ तो कभी काटो के साथ रहना सीखो।
मदन ने मिलाया कली को अली से कली प्रीत पाकर विहँसने लगी है। मदन ने मिलाया कली को अली से कली प्रीत पाकर विहँसने लगी है।
कुछ अतीत की स्मृतियाँ आंदोलित हो कर जीवंत हुईं, क्यों चाह रहा वो बोल पड़े अब तक थे जिनके होंठ सिले! कुछ अतीत की स्मृतियाँ आंदोलित हो कर जीवंत हुईं, क्यों चाह रहा वो बोल पड़े अब तक ...